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09:08, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
परिंदे भी
छुट्टियां मनाते हैं
लो साइबेरिया से
आ गये वे
भंग न करें उनकी शांति
अपनी छुट्टियां मनाने
कहीं और निकल जाएं