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सर्वेशवरदयाल सक्सेना
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12:38, 30 सितम्बर 2010
शब्दों के जलते कोयलों की आँच
अभ
अभी
तो तेज़ होनी शुरु हुई है
उसकी दमक
आत्मा
कर
तक
तराश देनेवाली
अपनी मुस्कान पर
मुझे देख लेने दो।
Akashb1230
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