1,582 bytes added,
04:11, 3 अक्टूबर 2010 सुहाना हो भले मौसम मगर अच्छा नहीं लगता<br />
सफर में तुम नहीं हो तो सफर अच्छा नहीं लगता<br />
फिजा में रंग होली के हों या मंजर दीवाली के<br />
मगर जब तुम नहीं होते ये घर अच्छा नहीं लगता<br />
जहाँ बचपन की यादें हों कभी माँ से बिछड़ने की<br />
भले ही खूबसूरत हो शहर अच्छा नहीं लगता<br />
परिन्दे जिसकी शाखों पर कभी नग्में नहीं गाते<br />
हरापन चाहे जितना हो शजर अच्छा नहीं लगता<br />
तुम्हारे हुश्न का ये रंग सादा खूबसूरत है<br />
हिना के रंग पर कोई कलर अच्छा नहीं लगता<br />
तुम्हारे हर हुनर के हो गये हम इस तरह कायल<br />
हमें अपना भी अब कोई हुनर अच्छा नहीं लगता<br />
निगाहें मुंतजिर मेरी सभी रस्तों की है लेकिन<br />
जिधर से तुम नहीं आते उधर अच्छा नहीं लगता<br />