{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह= लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू
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गद्दे वाली कुर्सी पर बैठ एक और औरत कामुक निगाहों से ताक रही है
इश्तहार से खुली छातियों वाली औरत मुझे देखती मुस्कराती है
एक औरत फोन फ़ोन का डायल घुमा रही है और मैं सोचता हूँ वह मेरा ही नंबर मिला रही है
माँ छः घंटों बस की यात्रा कर आई है
माँ मुझसे मिल नहीं सकती, होस्टल में रात को औरत का आना मना है।है ।
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