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वरदवीणा हुई दीना / केदारनाथ अग्रवाल
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12:04, 24 अक्टूबर 2010
गले मिलते रहे गल के
शरण संबल रहे बल के
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वसना
वचना
नलिन नयना विशद वसना
गए तुम कर गए सूना
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