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स्याह-सफ़ेद / जानकीवल्लभ शास्त्री
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17:04, 25 अक्टूबर 2010
ठोकर मर-मारकर तुमने
बंजर उर में शूल उगाए
स्याह-सफ़ेद
डालकर साए
मेरा रंग पूछने आए !
</poem>
अनिल जनविजय
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