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फुगडी
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,
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सोंडी बाई सोंडी माजघराची सोंडी
गौर गेली सासरी जागा झाली भोंडी
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।
'''5.
पैशाची घेतली जुडी
जुडी बाई जुडी, सांबाराची जुडी
माहेरचा डोंगा पाहून घेतली उडी
|
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।
</poem>
अनिल जनविजय
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