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16:40, 28 अक्टूबर 2010
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|रचनाकार=मनोज भावुक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
जिन्दगी सवाल हऽ, जिन्दगी जवाब हऽ
जोड़ आ घटाव हऽ, साँस के हिसाब हऽ
धूप चल गइल त का, रूप ढल गइल त का
बूढ़ भइल आदमी अनुभवी किताब हऽ
रूपगर सभे लगे उम्र के उठान पर
रूपसी का आँख से जे चुए, शराब हऽ
देह बा मकान में, दृष्टि बा बगान में
होश में रहे कहाँ, मन त ई नवाब हऽ
आदमी के स्वप्न के खेल कुछ अजीब बा
जी गइल त जिन्दगी, मर गइल त ख्वाब हऽ
हीन मत बनल करऽ, दीन मत बनल करऽ
आदमी के जन्म तऽ खुद एगो किताब हऽ
दिल में तू धइल करऽ, दिल सदा 'मनोज' के
दूर से बबूर ई, पास से गुलाब हऽ
<poem>