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पुस्तकालय में झपकी / अनामिका

13 bytes added, 04:21, 29 अक्टूबर 2010
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गमीर् गजब गर्मी गज़ब है!
चैन से जरा ऊंघ पाने की
इससे ज्यादा ज़्यादा सुरिक्षत, ठंडी, शांत जगहधरती पर दूसरी नहीं शायद।शायद ।
गैलिस की पतलून,
ढीले पैतावे पहने
रोज रोज़ आते हैं जो
नियत समय पर यहां ऊंघने
भीष्म पितामह और विदुर वगैरह अपने साग-वाग
लिए-दिए आते हैं
छोटे टिफन टिफ़न में।
टायलेट में जाकर मांजते हैं देर तलक
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