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नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> सबका हिया में धड़कत, ज…
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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

सबका हिया में धड़कत, जिनिगी के दुआ तूहीं
सबका हिया में तड़पत, मउवत के हवा तूहीं

सुख के भले ना होखऽ, दुख के त सखा तूहीं
सब ओर से थकला पर आपन त खुदा तूहीं

बाटे ई कहल मुश्किल, के गैर के आपन बा
मौसम के तरह बदलत, रिश्तन में सगा तूहीं

रस्ता के पता नइखे, मंजिल के पता नइखे
जाये के जहाँ बाटे, ओह घर के पता तूहीं

जिनिगी अउँजाइल बा, हर ओर धुआँ बाटे
एह घोर अन्हरिया में असरा के दिया तूहीं

तोहरा से छुपाईं का, तोहरा से बताईं का
जे रोग लगल बाटे, ओकर त दवा तूहीं

'भावुक' हो ई साँचे बा, जरले प कहे दुनिया
सुलगत ए दोपहरी में सावन के घटा तूहीं

<poem>