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08:50, 29 अक्टूबर 2010 KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
हर कदम जीये-मरे के बा इहाँ
साँस जबले बा लड़े के बा इहाँ
जिन्दगी जीये के मकसद खोज के
ख्वाब के मोती जड़े के बा इहाँ
स्वर्ग इहवें बा,नरक बाटे इहें
जे करे के बा, भरे के बा इहाँ
फूल में तक्षक के संशय हर घरी
अब त खुशबू से डरे के बा इहाँ
जिन्दगी तूफान में एगो दिया
टिमटिमाते ही जरे के बा इहाँ
सुख के मोती ,सीप के अब खोज मे
दुख के दरिया तय करे के बा इहाँ
जिन्दगी के साँच बस बाटे इहे
एक दिन सभका मरे के बा इहाँ
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