Changes

नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> शेर जाल में फँस जाला त…
KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

शेर जाल में फँस जाला तऽ सियरो आँख देखावेला
बुरा वक्त जब आ जाला तऽ अन्हरो राह बतावेला

कबो-कबो होला अइसन जे छोटके कामे आवेला
देखीं ना, सागर, इनार में, इनरे प्यास बुझावेला

सूरज से ताकतवाला के बाटे दुनिया में , बाकिर
धुंध, कुहासा, बदरी, गरहन उनको ऊपर आवेला

कबो-कबो होला अइसन जे सोना उहँवे निकलेला
बदगुमान में लोग जहाँ पर लात मार के आवेला

पास रहेलऽ तब तऽ तहरा से होला रगड़ा-झगड़ा
दूर कहीं जालऽ तऽ काहे तहरे याद सतावेला

पटना से दिल्ली, दिल्ली से बंबे, बंबे से पूना
'भावुक' हो आउर कुछुवो ना, पइसे नाच नचावेला

<poem>