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09:17, 29 अक्टूबर 2010 वक्त जीवन में अइसन ना आवे कबो
बाप बेटा के अर्थी उठावे कबो
रोशनी आज ले भी ना पहुँचल जहाँ
केहू उहँवों त दियरी जरावे कबो
सब बनलके के किस्मत बनावे इहाँ
केहू बिगड़ल के किस्मत बनावे कबो
जे भी आइल सफर में दुखे दे गइल
केहू आइल ना हमके हँसावे कबो
हमरा हर कोशिका में समाइल बा जे
काश! हमरा के आपन बनावे कबो
सबका गोदी के 'भावुक' खेलवना बने
काश! बचपन के दिन लौट आवे कबो