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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
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[[Category:ग़ज़ल]]
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वक्त जीवन में अइसन ना आवे कबो
बाप बेटा के अर्थी उठावे कबो
सबका गोदी के 'भावुक' खेलवना बने
काश! बचपन के दिन लौट आवे कबो
 
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