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जहाँ भर में हमें बौना बनावे धर्म का चक्कर / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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12:58, 7 नवम्बर 2010
करोड़ों को हज़ारों में गिनावे धर्म का चक्कर
चमन में
फ़ूल
फूल
ख़ुशियों के खिलाने की जगह लोगों
बुलों
गुलों
को
खून
ख़ून
के आँसू रुलावे धर्म का चक्कर
कभी शायद सिखावे था मुहब्बत-मेल लोगों को
द्विजेन्द्र द्विज
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