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दस दोहे (21-30) / चंद्रसिंह बिरकाली
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09:02, 16 नवम्बर 2010
चरचर करती चिड़कल्यां करै रेत असनान।
तंबू सो अब ताणियों
बादळियंा
बादळयां
असमान।। 27।।
चहचहाती चिड़िया धूलिस्नान कर रही है। अब बादलियों ने आसमान में तंबु सा तान लिया है।
आशिष पुरोहित
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