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बरस घटा बण, बादळी मुरधर कानी जोय ।।24।।
सफेद सफ़ेद रूई के फाऐ फाये-सी तु तू घुल-घुल कर भूरी हो जाती है । बादली, मरूधरा की तरफ देखकर घटा बन बरस पड़ो ।
जळहर ऊंचा आविया बोल रया जल-काग ।
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