Changes

पटकथा 1388 / नवारुण भट्टाचार्य

3 bytes removed, 06:10, 17 नवम्बर 2010
कि दुर्लभ पुण्य देता है गंदे नाले के पानी में स्नान
इस बीच झड़े बालों वाले कुछ बूढ़े चूहों का दल
फिइले फूले हुए पेट की बिल्लियों से करता है संभोग
वासना का खेल
इसी तरह कटते हैं दिन-रात काल-अकाल