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आत्म-समर्पण / रामकुमार वर्मा
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16:14, 31 मई 2007
सजल जीवन की सिहरती धार पर, <br>
लहर बनकर यदि बहो, तो ले चलूँ
<br>
<br>
वह तरलता है हृदय में, किरण को भी लौ बना दूँ <br>
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अमित