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09:45, 20 नवम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
रातें हैं उदास दिन कड़े हैं,
ऐ दिल तेरे हौसले बड़े हैं,
ऐ यादे-हबीब साथ देना,
कुछ मरहले सख़्त आ पड़े हैं,
रूकना हो अगर तो सौ बहाने,
जाना हो तो रास्ते बड़े हैं,
अब किसे बतायें वजहे-गिरीया,
जब आप भी साथ रो पड़े हैं,
अब जाने कहाँ नसीब ले जायें,
घर से तो ‘फ़राज़’ चल पड़े हैं,
</poem>