अपनी अपनी खूबियाँ और ख़ामियाँ भी बाँट लें
शोहरतें तो बात बाँट ली रुसवाइयाँ भी बाट ले बाँट लें
बाँट ली आसानियाँ, दुशवारियाँ भी बाँट लें
आओ हम अपनी ये सूखी रोटियाँ भी बाँट लें
अपने हिस्से की ज़ंमी ज़मीं तो दे चुके हमसाए को अब बताओ क्या हम अपनी वादिया वादियाँ भी बाँट लें
दर्द, आँसू, बेकरारी इक तरफ़ ही क्यूँ रहे
इश्क़ में हम अपनी अपनी पारियाँ भी बाँट लें</poem>