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कश्मीर होता जा रहा हूँ/ मनोज श्रीवास्तव
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10:56, 24 नवम्बर 2010
किसी अपार शक्ति से
निस्तेज हुआ जा रहा हूँ,
सारी ऊर्जाएं मेरे ऊपर से बह जा रही हैं
मेरा बल मेरी पकड़ से
कश्मीर होता जा रहा है
,
मैं न तो कोई राष्ट्र बन पा रहा हूँ
न ही इसका कोई स्थिर राज्य.
Dr. Manoj Srivastav
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