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सौ चांद भी चमकेंगे / जाँ निसार अख़्तर
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12:40, 15 अप्रैल 2008
[[Category:गज़ल]]
सौ
चाँद
चांद
भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी <br>
तुम आये तो इस रात की औक़ात बनेगी <br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
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