गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कुरुक्षेत्र/अरुण कुमार नागपाल
1 byte added
,
08:37, 7 दिसम्बर 2010
और लहू के धारे बह रहे हैं
मेरे बदन के घावों से
ऐसे में सोच रहा हूँ
कहाँ है वो कृष्ण
Arun Kumar Nagpal
26
edits