औरत / निकिता नैथानी

एक औरत कौन होती है?
जो जन्म लेते ही बन जाती है
परिवार की झूठी इज़्ज़त
उठा लेती है नैतिकता का बोझ
अपने कन्धों पर
ढल जाती है पारिवारिक और
सामाजिक दायित्व निभाने के ढाँचे में ।

जिसे सदैव बताया जाता है
कि कितना तुच्छ है उसका जीवन
और कितनी बड़ी है उसके जीवन को
मिटाती हुई समाज की प्रतिष्ठा
कि उसका स्वयं का कोई अस्तित्व नहीं
कि उसे रहना है सदैव
दूसरों के संरक्षण में
मान- मर्यादा के साथ ।
 
और वह आज तक तलाश रही है
अपना अस्तित्व
चिता की आग में …।

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