राग / राजकिशोर राजन

अकस्मात् ही हुआ होगा
कभी दबे पैर आया होगा
ईर्ष्या-द्वेष
घृणा-बैर आदि के साथ
जीवन में राग

फिर न पूछिए !
क्या हुआ ...................
कुछ भी नहीं बचा
बेदाग ।

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