Last modified on 17 जुलाई 2013, at 18:53

विश्वास / उमा अर्पिता

जिंदगी के चौराहे पर
हजारों व्यक्तित्व
शेषनाग से फन उठाए
डसने को
तैयार खड़े हैं
और उसी चौराहे पर, मैं
अपने जीवन का
मार्ग खोज रही हूँ...!
यह जानते हुए भी कि
इन फनों के
सर्पिल संवेदन से
बच नहीं पाऊँगी, फिर भी
एक विश्वास है जो संजीवनी-सा
अमरत्व का
वरदान दे जाता है...!