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वृत्तांत / दिनेश कुमार शुक्ल

अपनी ही प्रतिध्वनि में डूबा
भारी बोझा लादे अपने प्रतिबिम्बों का
दौड़ रहा है, हाँफ रहा है
स्वयं वृत्त का केन्द्र, वृत्त की गोल परिधि पर

शून्य, शब्द, परमाणु, सौरमण्डल, आत्मा के परिभ्रमण में
फैल रहा है वृत्त-वृत्त वृत्तान्त
गूँजता आदिम ध्वनि-सा.....

अर्धचेतना के समुद्र में डूबा-डूबा
घड़ी-घड़ी बज उठता है दो मन का घण्टा
अष्टधातु का
वृत्ताकार फैलती लहरों के पहाड़ पर
डूब रहा है सूर्य
वृत्त का केन्द्र …