नदी बहा ले गई थी
वेलजी<ref>एक दलित</ref> को पिछली जुलाई में
अपने साथ माही<ref>पश्चिमी म.प्र. की एक नदी</ref> से मिलाने,
मई के नवतपा में
माही आज ठहर गई है
गैमन पुल के नीचे सुस्ताने
दबा होगा वेलजी
यहीं-कहीं सूखी गाद में
औंधे मुँह,
हाथ ऊपर किए
अटका होगा उसका हाथ
खरबूजे के खेत तैयार करते हल में
लाश!
अब खाद में तब्दील हो चुकी होगी
खूब फलेगा खरबूजा
या फिर
खा गई होंगी बड़ी-मोटी मछलियाँ
उसका माँस
नोंच-नोंच कर
रेत में दफन हुई होंगी
बची-खुची हड्डियाँ
मेरे सामने यहाँ पुल के बायीं ओर
बिक रही हैं
कटी, तुली, भुनी वही मछलियाँ
जिनके माँस में
वेलजी का माँस भी मिल गया है।
शब्दार्थ
<references/>