Last modified on 3 जुलाई 2010, at 16:05

शब्द-एक / राजेश व्यास

शब्दों की नहीं होती
कोई अंतिम यात्रा
अलिखित और मौन में भी
शास्वत है
चरैवेति, चरैवेति।