शब्द का भरम टूटे
इससे पहले दम टूटे
मंजिलों से खत आया
राह में कदम टूटे
पहले दिन से आख़िर तक
दिल पे सारे गम टूटे
खुल के बात हो जाये
शर्म बे-शरम टूटे
खत्म जब कहानी हो
बेहिचक कलम टूटे
खौफ बन गयी जंजीर
चुप की डोर कम टूटे
सच के रास्ते ‘रौशन’
झूठ के सितम टूटे