बढ़े अगम की ओर विहॅंस कर
होड़ लगाकर प्राणों की
राष्ट्र यज्ञ की पूर्णाहुति की
देकर बलि अरमानों की।
सिर पर कफ़न बाॅंध आजीवन
ताल ठोंक भूचालों से
एकाकी जूझते रहे जो
अंधड़ औ तूफानों से।
जिनकी ज्योति किरण से जगमग
आज देश का कण कण है
जय उन अमर शहीदों की हो
बोल रहा 'जन-गण-मन' है।