जहाँ
निशान थे
दीवारों पर गोलियों के,
जीवन था।
हत्या जहाँ हुई थी
वहाँ था
सिर्फ़ सन्नाटा।
काफ़ी कुछ
उपजा करता है
सन्नाटे से।
रचनाकाल : सितम्बर, 1999
जहाँ
निशान थे
दीवारों पर गोलियों के,
जीवन था।
हत्या जहाँ हुई थी
वहाँ था
सिर्फ़ सन्नाटा।
काफ़ी कुछ
उपजा करता है
सन्नाटे से।
रचनाकाल : सितम्बर, 1999