सवैया
यह देखि धतूरे के पात चबात औ गात सों धूलि लगावत है।।
चहुँ ओर जटा अटकै लटके फनि सों कफनी फहरावत हैं।।
रसखानि सोई चितवै चित दै तिनके दुखदंद भजावत हैं।
गज खाल की माल विसाल सो गाल बजावत आवत हैं।।256।।
सवैया
यह देखि धतूरे के पात चबात औ गात सों धूलि लगावत है।।
चहुँ ओर जटा अटकै लटके फनि सों कफनी फहरावत हैं।।
रसखानि सोई चितवै चित दै तिनके दुखदंद भजावत हैं।
गज खाल की माल विसाल सो गाल बजावत आवत हैं।।256।।