बद्दुआओं का
असर होता अगर ;
वीरान
यह आलम
कभी का
हो गया होता !
जाग उठता
हर क़दम पर
आदमी का दर्प-दुर्वासा !
चिरन्तन
प्रेम का सोता
रसातल में
कभी का
खो गया होता !
कहाँ हो तुम
पुनीत शकुन्तले !
अभिशाप की
जीवन्त पंकिल प्रतिक्रिया !
कहाँ हो तुम ?