शेरु पिल्ला सुन्दर है,
कूं कूं करता दिनभर है।
एक ऊन का गोला सा,
बैठा रहता भोला सा॥
दूध खूब पी जाता है,
बिस्कुट गप खा जाता है।
जब कोई घर मेन आता है,
'भों-भों' कर घुड़काता है॥
तन्नू को यह प्यारा है,
इसको तन्नू प्यारा है।
यह तो कोई गैर नहीं,
इसका जैसा और नहीं॥