जितने-जितने हाथ मिले,
मिली न उतनी
झोली,
चौपाए या
दोपाए-
जब संग चले तो
चली दहाड़ के
टोली:
शेरों के मुँह
किसने धोए,
किसने हाँकी,
बोली!
जितने-जितने हाथ मिले,
मिली न उतनी
झोली,
चौपाए या
दोपाए-
जब संग चले तो
चली दहाड़ के
टोली:
शेरों के मुँह
किसने धोए,
किसने हाँकी,
बोली!