श्रीधर पाठक का जन्म आगरा जिले के जौंधरी ग्राम में हुआ। शिक्षा संस्कृत और फारसी में हुई। कलकत्ता में सरकारी सेवा करने के पश्चात ये प्रयाग में आकर रहने लगे। इन्होंने ब्रजभाषा तथा खडी बोली दोनों में कविता लिखी। इनकी मुख्य रचनाएं हैं- 'जगत सचाई-सार, 'मनोविनोद, 'काश्मीर सुषमा, 'गोपिका-गीत एवं 'भारत-गीत। खडी बोली में काव्य रचना कर इन्होंने गद्य और पद्य की भाषाओं में एकता स्थापित करने का ऐतिहासिक कार्य किया। इन्होंने अंग्रेजी तथा संस्कृत की पुस्तकों के पद्यानुवाद भी किए। ये प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाज सुधार की भावनाओं के कवि हैं।