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संतुष्टि / नवीन ठाकुर ‘संधि’

पूजा रोॅ पहिलेॅ लगाय छै चंदन शुद्धि वास्तें।
शादी रोॅ पहिलेॅ आबै छै लगन संतुष्टि वास्तें।

मेला जाय रोॅ पहिलेॅ सजाय छै बदन तृष्णा तुष्टि वास्तें।
कुश्ती रोॅ पहिलेॅ कसै छै कछन बलोॅ वास्तें।

बार-बार प्रश्न करै सघन जाँच आरो सिखै वास्तें।
खूब करै छै मन-मन्थन काम करै वास्तें।