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वृक्षों से संवाद कितना सरल !
बरसात की बूँदों धुला हर गरल !
 खिड़की से हाथ बाहर निकालकर
 नारियल की टहनी से कहा-
 " मेरे पास आओ,
अपना हाथ बढ़ाओ
तुमसे बात करना चाहती हूँ ।"
 टहनी ने हाथ बढ़ाया।
 संवाद स्थापित हुआ।

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