जब से
हुई पहचान
मूक अधरों पर
अयास बिछल रहे
कल गान !
देखा
एकाग्र पहली बार —
बढ़ गया विश्वास,
मन पंख पसार
छूना चाहता आकाश !
जब से
हुई पहचान
मूक अधरों पर
अयास बिछल रहे
कल गान !
देखा
एकाग्र पहली बार —
बढ़ गया विश्वास,
मन पंख पसार
छूना चाहता आकाश !