दूर दूर
कहीं कुछ नहीं
न फूल न गंध
बस एक मलबा
टूटे खम्भे, खण्डित मूर्तियाँ
और एक याद
जो एक गूँगे समय की है
क्या बनाऊँ ?
सोचता हूँ
और टटोलता हूँ मलबा
सच क्या है
जो लिखूँ और गुनगुनाऊँ ?
दूर दूर
कहीं कुछ नहीं
न फूल न गंध
बस एक मलबा
टूटे खम्भे, खण्डित मूर्तियाँ
और एक याद
जो एक गूँगे समय की है
क्या बनाऊँ ?
सोचता हूँ
और टटोलता हूँ मलबा
सच क्या है
जो लिखूँ और गुनगुनाऊँ ?