काग़ज़ पे लिखे लम्हों
में छिपा सच
सिर्फ़ दो लोग पहचानते हैं
काग़ज़ और मैं ।
एक दिन काग़ज़ खो जाएगा
और मैं मर जाऊँगा
रह जाएगा सिर्फ़ सच —
विलुप्त ।
काग़ज़ पे लिखे लम्हों
में छिपा सच
सिर्फ़ दो लोग पहचानते हैं
काग़ज़ और मैं ।
एक दिन काग़ज़ खो जाएगा
और मैं मर जाऊँगा
रह जाएगा सिर्फ़ सच —
विलुप्त ।