सारी दुनिया लिखने वाला
नहीं लिख पाता अपनी ही कहानी
तमाम लफ़्ज़ों को बहलाता
खुद को झुठलाता
एक वही जानता है
कि वो जो लिख नहीं सकता कभी
वही सच है...
अपनी कहानियों के नाम
सन्नाटे गूंजते हैं।
सारी दुनिया लिखने वाला
नहीं लिख पाता अपनी ही कहानी
तमाम लफ़्ज़ों को बहलाता
खुद को झुठलाता
एक वही जानता है
कि वो जो लिख नहीं सकता कभी
वही सच है...
अपनी कहानियों के नाम
सन्नाटे गूंजते हैं।