हर रोज
एक सपना देखती है नदी
आता है चॉंद जिसमें
तारों से भरा परिवार लेकर
रहता है देर तक
नहाता हुआ,
डुबकी लगा-लगाकर
जब तक आदमी के पॉंव
जगा नहीं देते उसे ।
हर रोज
एक सपना देखती है नदी
आता है चॉंद जिसमें
तारों से भरा परिवार लेकर
रहता है देर तक
नहाता हुआ,
डुबकी लगा-लगाकर
जब तक आदमी के पॉंव
जगा नहीं देते उसे ।