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सपना / नवीन ठाकुर 'संधि'

तोहें आराम करल्हेॅ,
हमरोॅ नींद हराम करल्हेॅ?

तोहें रहै छोॅ बिछौना पर सटी,
हम्में आबै छीॅ कमाय खटी।
राति देखल्हाँ हम्में सपना में,
दिल नै रहलोॅ हमरोॅ सीना में।
तोहें कत्तेॅ हमरा सतैल्हेॅ।
तोहें आराम करल्हेॅ।

आभियो तेॅ एक नजर देखोॅ,
दुनियाँ सें प्रेम सीखोॅ।
प्रेम जीवन केरोॅ बंधन छेकै,
मन माथा केरोॅ चंदन छेकै।
तोंय हमरा बहुतेॅ तरसैल्हेॅ
तोहें आराम करल्हेॅ।

बात मनोॅ के हमरोॅ तोहें जानोॅ,
इतराबोॅ नै बात हमरोॅ मानोॅ।
दिल लगाना कोय खराब नै छेकै,
प्रेम करना कोय पाप नै छेकै।
दिल ‘‘संधि’’ रोॅ कत्तेॅ दुःखैल्हेॅ।
तोहें आराम करल्हेॅ।