Last modified on 15 अक्टूबर 2013, at 12:02

सबद कोस / अर्जुनदेव चारण

म्हैं जायनै
सबदकोस नै पूछियौ
कांई वो
देय सकै उधार
म्हनैं कीं सबद
जिणसूं मांड सकूं
थारौ चितराम,
वो
आपरा सगळा खूंजा
कर दिया खाली
पण
थारी पीड़ बांचणिया आखर
उण कनै
हा ई कोनी
म्हैं उतरियौ
ऊंडै पयांळां
कै लाध जावै
कोई मणि
जिणरै उजास मांय
देखलूं
थारी छिब
पण
नींव रा भाटा बाजणिया
पराकरमियां रा
उतर गिया मूंडा
मां
थूं ई बता
म्हैं
कठै सूं लावूं
वो साच
कै म्हारा टाबर
ओळखलै आपरै बडेरां नै