Last modified on 13 सितम्बर 2012, at 13:22

समझ / संगीता गुप्ता


युगों को पार कर
मन का मन तक
पहुँचना
अभिभूत कर गया

उसको जानने की प्रक्रिया में
स्वयं को जानना, समझना
उस तक पहुँचना
लौटना स्वयं तक

विस्मय के
इस सुख में
डूबती
वह महसूसती
प्रेम से
बड़ी होती
समझ