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समाज / सुन्दर नौटियाल

 
यु समाज कैन बणाइ ?
दादा न बणाइ कि नना बणाइ ?
कक्का न बणाइ कि बड्डा न बणाइ ?
भैणियांे न बणाइ कि भैन बणाइ ?
कैका बुब्बा न बणाइ कि बैन बणाइ ?
सबुसि अलग थै क्वै ? कि सबुसि मथि थै क्वै ?
कि हमु जना गयां-गुजर्यां ?
त्वैन बणाइ कि मैन बणाइ ?
यु समाज कैन बणाइ ??
कक्का थै कि बड्डा थै ?
नन्ना थै कि दद्दा थै ?
चड़कट्यां लोग थै क्वै
कि मनखि सीदा-सद्दा थै ?
बुद्धिजीवी, वेदपाठियों सि बणि ?
कि जटबुद्धियों कि लाठियों सि बणि ?
माटू खणद, माटू बणदा,
ल्वै कु पसीना करदारौन बणाइ ?
कि कुटीं घाणी मा रकर्यांदरा
जमींदारों न बणाइ कि थोकदारों न बणाइ ?
सबुन मिली बणाइ कि द्वी चार पंच्वैन बणाइ ?
बातौं सि बणाइ, गातों सी बणाइ ?
कि मनख्यों न मनख्यों का ल्वैन बणाइ ?
यु समाज कैन बणाइ ?

यु समाज कैक बणाइ ?
कैका बुबक कि ब्वैक बणाइ ?
मैक बणाइ कि त्वैक बणाइ ?
नांगा, उघाड़ा, अधोया मनख्यौंक ?
कि धित्यां-छक्यांे तैं धितैक बणाइ ?
यु समाज कैक बणाइ ?

वर्तमान परिदृश्य ...

जु दब्यां छा तौं दबोणै लग्यां,
जु कुल्च्यां तौं कुल्चैंणै लग्यां,
मर्री घुसड़ी जु पार लैगी, बड़ा ह्वैगे जु,
हौर चाणा, हौर मंगणा, गुल्दौणै लग्यां ।
कै मनखि पुजि-पुजि हम भगवान बणै द्यंणा,
कै ठोकरी मारी मारी इन्सान नि रणै द्यणा ।
कैकी आंख्यों मा गरीबी सि, बेरोजगारि सि
निंद नि औंद
क्वै नौटु का पुळौं मा सियां त तौं स्यणैं द्यणा ।

देश कि जड़ि खणि-खणि क्वै टुक्खा पौंछिग्ये,
क्वै देश बणौण खातिर मौत का मुक्खा पौंछिग्ये,
क्वै जाति, धर्म का बोल्डरों निस दब्यूं रैगे यख,
नौटु का, वोटु का वोंमा बि कै भुक्खा पौंछिग्ये ।

अरे यु समाज बण्यूं छा कि मनख्यात बणी रा,
कुकर-बिरालौं से अलग मनखि वाळी बात बणी रा,
क्वै दबि नि जा, क्वै छुटि नी जा,
क्वै अलग नि ह्वा कखि,
हाथ पकड़ि बड़ा सबि, मनख्यों कु सात बण्यूं रा ।
जख मनखि-मनखि मा हो भेद
हु समाज हमथैं नी चैंदु,
रंग, जाति, धरमु की उंची दिवालों सी घिर्यूँ
यु ऊंच-नीच मणदारू समाज हमथैं नी चैंदु ।
हमत नया जमानम नयी सोच लीक जीण वाळा
वर्ग भेद पर टिक्युं यु रामराज हमथैं नी चैंदु,
बरसु बटीन बोकुणु जू कुरीति जू यौं रिवाजु थैं
यनु सड़यूं-गल्यूं-थक्यूं समाज आज हमथैं नी चैंदु ।।