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सम्पूर्ण आत्मोत्सर्ग / रोसारियो त्रोंकोसो

आकाशीय गुम्बदों से ज़मीन की ओर
कूदते हैं अनावृत्त देवदूत
वे होते हैं खण्डित वायुमण्डल में,
गिरते हैं
कुछ नगरियों पर उनके अवशेष।

झपकती है पलक हर बार,
हर बार घटित होता यही,
उनके बनते-बिगड़ते प्रतिबिम्ब
पंछियों का भ्रम हैं देते।

यहाँ जो कुछ शेष रहा उनका,
बस यही:
भस्म और टूटे परों का एक बिछौना,
जितना सघन उतना ही एकाकी।

मूल स्पानी भाषा से पूजा अनिल द्वारा अनुदित